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माई क्लीन सिटी के तहत ठोस कचरा प्रबंधन की दी गई जानकारी, बताया कानून और नुकसान

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट गौर सिटी Park Avenue में ठोस कचरा प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला
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Greater Noida: एचसीएल फाउंडेशन और सेंटर फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन (CEE) द्वारा संचालित "माई क्लीन सिटी" परियोजना के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट गौर सिटी Park  Avenue में ठोस कचरा प्रबंधन पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला की अध्यक्षता सोसाइटी के गौरव और राजेंद्र और मोहित ने की।

कार्यक्रम में  पर्यावरण शिक्षा केंद्र से ठोस कचरा प्रबंधन ने प्रतिभागियों को ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 कचरे से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों और पर्यावरण संरक्षण के उपायों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम में AOA और (CEE) सीईई के सीनियर कम्युनिटी मोबिलाइज़र मो. अबु और कम्युनिटी मोबिलाइज़र देवांशि सिंह, शिव कुमार, नितिन दहलिया, साहिल सिंह, विनोद कुमार  AOA के सदस्य राजेंद्र सिंह गिल सुरभि मैडम विनोद कुमार शर्मा जी अंकित त्रिपाठी, मिसेज गुप्ता समेत कुल 101 घरेलू सहायकाएं और घरेलू सहायक उपस्थित रहे। इस कार्यशाला का उद्देश्य घरों में और सोसाइटी में काम करने वाले को ठोस कचरे के सही प्रबंधन और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए जागरूक बनाना था। आयोजकों ने भविष्य में भी ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों को जारी रखने का आश्वासन दिया। जिससे अपने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने में मदद मिल सके।

ठोस कचरा प्रबंधन आज के समय में एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण कचरे की मात्रा तेजी से बढ़ रही है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यदि ठोस कचरे का सही प्रबंधन किया जाए, तो इसे संसाधनों में बदला जा सकता है और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सकता है।

ठोस कचरा क्या है?
ठोस कचरा उन अनुपयोगी पदार्थों को कहा जाता है जो हमारे घरों, उद्योगों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों से निकलते हैं। जैविक कचरा  भोजन के अवशेष, सब्जियों के छिलके, पत्तियाँ आदि। अजैविक कचरा प्लास्टिक, कांच, धातु, कागज आदि।खतरनाक कचरा बैटरी, ई-कचरा, रसायन, दवाइयाँ आदि। बता दें कि गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करें। खतरनाक और पुनर्चक्रण योग्य कचरे को अलग इकठ्ठा करें। पुनः उपयोग योग्य वस्तुओं का दोबारा प्रयोग करें। प्लास्टिक, कागज, कांच और धातु को पुनर्चक्रण केंद्रों में भेजें। जैविक कचरे से खाद बनाएं। घरों में वर्मीकंपोस्टिंग और बायोगैस संयंत्र स्थापित करें। स्थानीय निकायों द्वारा दिए गए हरे, नीले और लाल डस्टबिन का उपयोग करें। कचरे को वैज्ञानिक विधियों से नष्ट करें। लोगों को कचरा प्रबंधन के प्रति जागरूक करें।

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