Noida: देश को झकझोर देने वाले निठारी कांड का राज अब हमेशा के लिए दफन हो गया है। जैसे आरूषि-हेमराज हत्याकांड आज भी एक अबूझ पहेली बनकर रह गया, वैसे ही निठारी कांड की सच्चाई भी अब रहस्य बन गई है। 18 मासूम बच्चों की हत्या किसने की, यह सवाल अब शायद कभी किसी को नहीं पता चलेगा। न्याय की उम्मीद लगाए बैठे परिवारों के लिए यह अधूरा अध्याय बनकर रह गया है। क्योंकि गौतमबुद्ध नगर की जिला जेल में सजा काट रहे निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर बुधवार को रिहा कर दिया गया।
पुनर्विचार याचिका ही आखिरी रास्ता
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब इस मामले में पुनर्विचार याचिका ही आखिरी कानूनी रास्ता बचा है। अगर पीड़ित पक्ष चाहे तो सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है। पीड़ित बच्ची ज्योति के पिता झब्बू लाल और मां सुनीता ने आरोपियों के रिहा होने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि अगर ये दोषी नहीं हैं तो फिर हमारे बच्चों की हत्या किसने की? कोई तो होगा जिसने यह किया। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और जांच एजेंसियों की ओर से पर्याप्त साक्ष्य पेश न किए जाने पर आरोपियों को बरी किया है। उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिए पीड़ित परिवार चाहे तो आगे की कानूनी लड़ाई जारी रख सकता है।
निठारी कांड का जिक्र आते ही चुप्पी साथ लेता था कोली
सुरेंद्र कोली ने जेल में अपने 19 साल की सज़ा के दौरान निठारी कांड पर कभी मुंह नहीं खोला। वह लुक्सर स्थित जिला जेल की बैरक नंबर-1 में 35 अन्य कैदियों के साथ रहता था। जेल अधिकारियों के अनुसार, कोली बहुत कम बोलता था और कांड को लेकर किसी से चर्चा नहीं करता था। पिछले 14 महीनों में उससे केवल उसका बेटा, पत्नी, भाई और वकील ही मिलने पहुंचे। जेल में उसके कुछ साथी कैदी जरूर उसके करीब थे, लेकिन जब भी निठारी मामले पर चर्चा होती, वह तुरंत चुप्पी साध लेता था। जेल अधीक्षक बृजेश कुमार के मुताबिक, रिहाई का आदेश आने के बाद भी कोली का चेहरा बिल्कुल शांत था। उसने रोज की तरह खाना खाया और कोई भाव नहीं दिखाया।







