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एनसीआर में जहरीली हवा ने तोड़े रिकॉर्ड, नोएडा- ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 400 पार

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गाजियाबाद के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब
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Noida: दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। जहरीली हवा ने लोगों की सांसें तक भारी कर दी हैं। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद सहित अधिकांश शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है।


विशेषज्ञों के अनुसार इस स्तर का प्रदूषण न केवल स्वस्थ व्यक्तियों को प्रभावित करता है, बल्कि अस्थमा, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी और एलर्जी से पीड़ित लोगों की स्थिति को और गंभीर बना सकता है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति नोएडा और गाजियाबाद में सामने आई है, जहां कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर AQI खतरनाक स्तर को पार कर चुका है।


नोएडा में हवा की गुणवत्ता बेहद खराबः नोएडा के सभी सक्रिय मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पाई गई। सेक्टर-116 में AQI 439, सेक्टर-1 में 424, सेक्टर-125 में 424, सेक्टर-62 में 347 दर्ज किया गया। वहीं, ग्रेटर नोएडा में भी हालात चिंताजनक हैं। नॉलेज पार्क-5 में AQI 442 और नॉलेज पार्क-3 में 335 दर्ज किया गया।


गाजियाबाद में भी स्थिति भयावहः गाजियाबाद के लोनी में प्रदूषण स्तर 443 तक पहुंच गया, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है। इसके अलावा इंदिरापुरम में 428, वसुंधरा में 429, संजय नगर में 420 AQI दर्ज किया गया है।


दिल्ली भी डेंजर जोन मेंः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अधिकांश इलाकों जैसे पूसा, आरके पुरम, रोहिणी, शादीपुर, सिरीफोर्ट, सोनिया विहार, श्री अरबिंदो मार्ग, विवेक विहार और वजीरपुर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ या ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई है। इन इलाकों में दृश्यता कम होने और धुएं की मोटी परत छाए रहने से लोगों को रोजमर्रा की गतिविधियों में भी दिक्कतें आ रही हैं।


नोए़डा प्राधिकरण के दावे बनाम जमीन पर हकीकत

नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू होने के बाद से प्रदूषण नियंत्रण को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं।

14 अक्टूबर से लागू ग्रेप के तहत 19 नवंबर को प्राधिकरण की 14 टीमों ने शहर के 95 स्थानों का निरीक्षण किया और लोगों को एनजीटी नियमों व दिशा-निर्देशों के पालन के लिए जागरूक किया। प्राधिकरण,  59 टैंकरों से 234.10 किमी सड़कों पर उपचारित पानी का छिड़काव, 14 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों से 340 किमी सड़कों की सफाई, 23 टैंकरों से पेड़-पौधों की धुलाई, 88 एंटी-स्मॉग गन और 10 ट्रक-माउंटेड एंटी-स्मॉग गन का संचालन, 76.15 टन C&D वेस्ट का उठान व निपटान के प्राधिकरण की टीमें प्रतिदिन निर्माण स्थलों का निरीक्षण करती हैं। नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना या कानूनी कार्रवाई की जा रही है


स्थिति अब भी नियंत्रण में नहीं

इन सब प्रयासों के बावजूद हवा में घुला जहरीला धुआं और AQI का लगातार ‘गंभीर’ स्तर यह साफ दर्शाता है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए अभी और अधिक कठोर और प्रभावी उपायों की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम के साथ-साथ औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का धुआं और निर्माण गतिविधियां इस प्रदूषण की प्रमुख वजह हैं, जिन पर सख्त निगरानी अनिवार्य है।

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