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ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर खानापूर्ति, सैनिटाइजेशन और पानी छिड़काव सिर्फ दिखावा

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दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को पहनना पड़ रहा मास्क
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Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की ओर से सैनिटाइजेशन और पानी छिड़काव अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन स्थानीय निवासियों ने इसे सिर्फ दिखावा करार दिया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है, जबकि वास्तविक प्रदूषण स्रोतों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।

जहां होता निर्माण, वहां नहीं होता छिड़काव
स्थानीय लोगों के अनुसार, कई इलाकों में जहां न तो धूल उड़ती है और न ही प्रदूषण का खतरा है, वहां भी पानी का छिड़काव कर फोटो खिंचवाई जा रही है। सड़क किनारे मौजूद सूखी और पहले से साफ जगहों पर फायर टेंडर व टैंकर भेजकर कार्यवाही का दिखावा किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर वे स्थान, जहां निर्माण कार्य के कारण बड़े गड्ढे हैं और धूल लगातार उड़ रही है, उन्हें पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सबसे अधिक धूल उन्हीं जगहों से फैलती है, जहां दिन–रात सड़क निर्माण जारी है, परंतु वहां किसी प्रकार का प्रभावी छिड़काव नहीं किया जा रहा। “जहां असल काम होना चाहिए, वहां कोई नहीं जाता। बस कैमरे के सामने कार्रवाई दिखानी होती है.

निर्माण स्थलों और कच्ची सड़कें-गड्ढों पर छिड़काव जरूरी 
सैनिटाइजेशन करने वाले वाहन के चालक ने भी अपनी मजबूरी जाहिर की। उसने बताया कि उसे सिर्फ आदेश दिए जाते हैं और वह वही कर रहा है। चालक का कहना था “जहां मैं सैनिटाइजेशन कर रहा हूं, उससे प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। लेकिन हमें यही निर्देश मिले हैं, इसलिए पालन कर रहे हैं।”
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि केवल औपचारिक अभियानों के बजाय उन वास्तविक बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए जहां से धूल और प्रदूषण सबसे अधिक फैल रहा है। जब तक निर्माण स्थलों, कच्ची सड़कों और गड्ढों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक प्रदूषण कम करने के प्रयास सिर्फ कागज़ों और तस्वीरों तक सीमित रहेंगे।

23 दिनों से नोएडा की हवा जहरीली
 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नोएडा प्राधिकरण की टीम भले ही शहर में घूम-घूमकर प्रदूषण कम करने का प्रयासों में जुटी है लेकिनमंगलवार को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 373 और ग्रेटर नोएडा का 364 बेहद खराब श्रेणी में रहा। नोएडा देश में दूसरा सबसे प्रदूषित शहरों में रहा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 23 दिनों में एक्यूआई बेहद खराब और गंभीर श्रेणी में हुआ है। हवा स्थिति गंभीर होने के कारण लोगों ने मास्क पहनना शुरू कर दिया है। ग्रेप 3 की पाबंदियों के बीच निर्माण कार्यों पर लगाम कसना मुश्किल हो गया है। कंस्ट्रक्शन साइट्स पर निर्माण सामग्री खुले में ग्रीन शेड के बिखरी हुई है। नोएडा सेक्टर 125 का एक्यूआइ 413 गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ। इस सेक्टर में कंस्ट्क्सन का कार्य चलने के कारण मिट्टी हवा में घुल रही है। अधिकता होती है। मिट्टी वाहनों के आवागमन से हवा में बनी रहती है। इस कारण वायु गुणवत्ता बेहद खराब या गंभीर श्रेणी में बनी रहती है।

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