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दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर संसद में हंगामा, फंड उपयोग और GRAP सिस्टम पर उठे सवाल

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संसद में दिल्ली-NCR प्रदूषण पर तीखी बहस। विपक्ष ने फंड उपयोग पर सवाल उठाया, जबकि केंद्र ने GRAP और CAQM के तहत उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर सोमवार को लोकसभा में तीखी बहस देखने को मिली। राजधानी की हवा कई दिनों से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है, जिस पर सांसदों ने केंद्र और दिल्ली सरकार—दोनों को कठघरे में खड़ा किया।

 सांसदों ने पूछा-"आखिर कब साफ होगी दिल्ली की हवा?"

बहस की शुरुआत सांसद डॉ. किरसान नामदेव ने की और पूछा: “कब तक दिल्ली की हवा लोगों की जान जोखिम में डालती रहेगी? समाधान कब दिखेगा?” सांसदों ने कहा कि राजधानी में हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य संकट बन जाता है।

केंद्र सरकार ने बताया उठाए गए कदम

बहस का उत्तर देते हुए वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने माना कि दिल्ली-NCR में प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है।

उन्होंने कहा: CAQM (Commission for Air Quality Management) सक्रिय है। GRAP (Graded Response Action Plan) के तहत प्रतिबंध लागू किए जा रहे हैं। पराली जलाने, वाहन उत्सर्जन और निर्माण कार्यों पर विशेष निगरानी है। 2025 तक बड़े स्तर पर सुधार का लक्ष्य तय किया गया है

विपक्ष ने फंड उपयोग पर उठाया सवाल

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र की ओर से दिल्ली सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिए गए फंड का जमीन पर कोई असर दिखाई नहीं देता। विपक्षी सांसदों ने सवाल किया: “हवा बदतर होती जा रही है—क्या फंड सही तरीके से उपयोग हो रहा है? इसका ऑडिट कब होगा?”

GRAP पर भी सवाल-"50% स्टाफ से कैसे चलेगी राजधानी?"

बहस के दौरान कई सांसदों ने GRAP नियमों के दौरान दिल्ली सरकार के आधे कर्मचारी स्टाफ के साथ काम करने को लेकर सवाल उठाए। एक सांसद ने कहा: “जब प्रदूषण सबसे अधिक होता है, तभी स्टाफ 50% क्यों किया जाता है? यह व्यवस्था या मजाक?

 क्या आगे होंगे सख्त उपाय?

सूत्रों के अनुसार, प्रदूषण पर लगातार उठ रहे सवालों के बाद संसद की पर्यावरण समिति अगले सप्ताह बैठक कर GRAP और CAQM की मौजूदा प्रभावशीलता की समीक्षा कर सकती है। दिल्ली-NCR की हवा लगातार खराब बनी हुई है और प्रदूषण की चुनौती को लेकर संसद में हुआ यह विवाद साफ दिखाता है कि समाधान अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। आम जनता फिलहाल ठोस कार्रवाई और परिणामों का इंतजार कर रही है।

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