अखलाक लिंचिंग केस में नया मोड़, सरकार ने 10 आरोपियों पर मुकदमा वापस लेने की मांगी अनुमति
- Omprakash Singh
- 13 Dec, 2025
Greater Noida: गौतम बुद्ध नगर के दादरी गांव में करीब 10 साल पहले हुई मोहम्मद अखलाक की लिंचिंग के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। राज्य सरकार ने इस मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की अनुमति अदालत से मांगी है। सरकार की ओर से इसके पीछे तीन कारण बताए गए हैं। इस पर सुनवाई करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है और अखलाक के परिवार को आपत्ति दाखिल करने के लिए समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।
भीड़ ने पीट-पीटकर की थी हत्या
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के दादरी क्षेत्र में 28 सितंबर 2015 को भीड़ ने 50 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोप लगाया गया था कि अखलाक ने गाय की हत्या कर मांस खाया है। इस घटना के बाद इलाके में भारी तनाव फैल गया था और मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। अब घटना के लगभग 10 साल बाद राज्य सरकार ने इस मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगी है, जिससे एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
अलग-अलग बयानों पर सरकार की आपत्ति
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि अखलाक और उनके परिजनों द्वारा दर्ज कराए गए नामजद मुकदमों में अलग-अलग जानकारियां दी गई हैं, जिससे गवाहों के बयानों पर संदेह पैदा होता है। सरकारी पक्ष के अनुसार, 26 नवंबर 2015 को अखलाक की पत्नी ने 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद बेटी के बयान के आधार पर छह और नाम जोड़े गए। वहीं, 5 दिसंबर 2015 को अखलाक के बेटे दानिश ने तीन अन्य लोगों की पहचान कराई। सरकार का तर्क है कि इन बयानों में एकरूपता नहीं है, जबकि सभी आरोपी उसी गांव के निवासी बताए गए हैं।
अदालत की तल्ख टिप्पणी
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दर्ज मामलों को कभी वापस लिया गया है। अदालत ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए पीड़ित परिवार को अपनी आपत्ति दाखिल करने के लिए समय देने की मांग स्वीकार कर ली। अखलाक के परिवार की ओर से पैरवी कर रहे वकील युसूफ सैफी ने बताया कि राज्य सरकार की इस मांग से वे दुखी हैं, लेकिन न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि अंततः इंसाफ मिलेगा। उन्होंने तर्क दिया कि घटना के समय एक साथ कई लोगों के साथ मारपीट हो रही थी, ऐसे में पीड़ित ही हमलावरों की सही पहचान कर सकता है। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 18 दिसंबर तय की है।
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