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नोएडा में ई-स्कूटी घोटाला उजागर; साइबर ठगी के 100 करोड़ खपाने की थी योजना, 50 से अधिक लोगों को बनाया शिकार

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कंपनी निदेशक का भाई गिरफ्तार, ठगी के 100 करोड़ रुपये खपाने की थी योजना
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Noida: देश के बहुचर्चित 4200 करोड़ रुपये के बाइक बोट घोटाले के बाद अब नोएडा में एक और बड़ा ई-स्कूटी घोटाला सामने आया है। फेज-दो थाना पुलिस ने रविवार को कंपनी निदेशक गौरव मिश्रा के भाई सौरभ मिश्रा को भंगेल नाले के पास से गिरफ्तार किया है। वहीं, मुख्य आरोपी गौरव मिश्रा पहले से ही गाजियाबाद के एक साइबर ठगी मामले में एक नवंबर से डासना जेल में बंद है। पुलिस जांच में सामने आया है कि गौरव मिश्रा का उद्देश्य कंपनी के 100 करोड़ रुपये लिमिट वाले चालू खाते के जरिए साइबर ठगी की रकम को खपाना था। इसी कड़ी में पुलिस कंपनी से जुड़े तीन बैंक खातों की साइबर ठगी से जोड़कर जांच कर रही है।


जनवरी 2025 में बनाई थी ई-वाहन कंपनी

बिहार के दरभंगा जिले के जयदेव पट्टी गांव निवासी गौरव मिश्रा ने अपनी मां नूतन मिश्रा के साथ मिलकर जनवरी 2025 में ‘ईको जैप स्मार्ट मोबिलिटी’ नाम से ई-वाहन कंपनी की शुरुआत की थी। गौरव का सगा भाई सौरभ मिश्रा कंपनी के कामकाज में सक्रिय भूमिका निभा रहा था और वह भंगेल स्थित एमकेएम अपार्टमेंट में रह रहा था। कंपनी का कार्यालय चैतन्य बिल्डिंग में खोला गया था। कंपनी की ओर से निवेशकों को ई-स्कूटी योजना का लालच दिया गया। योजना के तहत एक स्कूटी के बदले 85 हजार रुपये निवेश करने पर स्कूटी को लीज पर लेकर तीन साल तक हर महीने सात हजार रुपये देने का वादा किया गया था। तीन साल बाद स्कूटी भी ग्राहक को सौंपने की बात कही गई थी।


शुरुआत में मिले पैसे, फिर बंद हुआ ऑफिस

भंगेल निवासी सरफराज ने 1.70 लाख रुपये और दीपांशु ने करीब सात लाख रुपये का निवेश किया था। शुरुआत में दो से तीन महीने तक उन्हें मासिक भुगतान भी मिला, लेकिन बाद में कंपनी का कार्यालय अचानक बंद हो गया। इसके बाद दोनों निवेशकों ने फेज-दो थाने में मुकदमा दर्ज कराया।


50 से अधिक लोगों से तीन करोड़ की ठगी

डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए सौरभ मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपित 50 से अधिक लोगों से करीब तीन करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं। पुलिस का कहना है कि समय रहते कार्रवाई कर एक और बड़े घोटाले को रोका गया है। जांच में यह भी सामने आया है कि गौतमबुद्ध नगर के एक कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर चुका गौरव मिश्रा साइबर ठगों के संपर्क में था। वह गेमिंग एप और एपीके फाइल के जरिए ठगी करने वाले गिरोह से जुड़ा हुआ था। उसके संपर्कों में गाजियाबाद, दिल्ली, रामपुर, लखनऊ और रायबरेली के कई आरोपी शामिल हैं।


100 करोड़ लिमिट वाला अकाउंट खुलवाया

गौरव ने अपने साथियों को बताया था कि उसके पास एक्सिस बैंक का 100 करोड़ रुपये लिमिट वाला करंट अकाउंट है, जिसमें ठगी की रकम जमा कर उसे खपाया जा सकता है। आशंका है कि साइबर ठगी से जुटाई गई रकम को ई-स्कूटी में निवेश करने वालों को भुगतान कर सफेद करने की योजना बनाई गई थी।

फिलहाल पुलिस पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है और घोटाले से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।

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